प्यार और ज़िन्दगी
ज़िन्दगी बीत जायेगी उनके ख्वाबो के आशियानो मे,
उम्मीद ही बहुत कम है उन्हे इस जन्म मे पाअने मे |
उनकी याद का साया घूल चुका है हमारे साये से,
तभी तो बैठे रह्ते है ज़ामो से बह्रे मह्खाने मे |
दिल का मिनट मे 72 बार धड़कना काफ़ी नही है,
गिलास को हिलाना पड्ता है ज़ाम छलकाने मे |
नफ़रत के लिये ज़िन्द्गी बहुत बदी है,
तुम भी घुल के देखो प्यार के इस ताने बाने मे |
ज़िन्द्गी मिली है प्यार से सन्जोने के लिये,
इसे सहेजो नफ़रत कि आग बुझाने मे |
चाहत किसे कह्ते है ये हममे जाना है,
तभी तो उन्का दर्द बिठाया है दिल के किसी तह्खाने मे ||
ज़रुरत
बह्ती हवा मे पत्ते हिलाने की ज़रुरत नही होती,
दिन मे सूरज को रोशनी दिखाने कि ज़रूरत नही होती |
दिल चाहे किसी का भी हो,
किसी के लिये धड्काने की ज़रुरत नही होती |
चाँद देख रहा है इस रोशन ज़मीन को,
उसे किसी और के आशियाने की ज़रुरत नही होती |
समुद्र मे लहरे उठ्ती है, गिरती है,
उन्हे किनारा दिखाने की ज़रुरत नही होती |
ज़िन्द्गी मे उतार चढ़ाव का क्या मतलब है,
जब उचाई से गिरते झरने को सुन्दरता बताने कि ज़रुरत नही होती |
आज की ज़िन्द्गी मे सच्चा राही वही है,
जिसे राह मे लक्ष्य बताने कि ज़रुरत नही होती |
ढ़्रढ निश्चय व सच्चे दोस्त के साथ से,
काटे भरी राह को फ़ूलो से सजाने की ज़रुरत नही होती ||
ज़िन्दगी बीत जायेगी उनके ख्वाबो के आशियानो मे,
उम्मीद ही बहुत कम है उन्हे इस जन्म मे पाअने मे |
उनकी याद का साया घूल चुका है हमारे साये से,
तभी तो बैठे रह्ते है ज़ामो से बह्रे मह्खाने मे |
दिल का मिनट मे 72 बार धड़कना काफ़ी नही है,
गिलास को हिलाना पड्ता है ज़ाम छलकाने मे |
नफ़रत के लिये ज़िन्द्गी बहुत बदी है,
तुम भी घुल के देखो प्यार के इस ताने बाने मे |
ज़िन्द्गी मिली है प्यार से सन्जोने के लिये,
इसे सहेजो नफ़रत कि आग बुझाने मे |
चाहत किसे कह्ते है ये हममे जाना है,
तभी तो उन्का दर्द बिठाया है दिल के किसी तह्खाने मे ||
ज़रुरत
बह्ती हवा मे पत्ते हिलाने की ज़रुरत नही होती,
दिन मे सूरज को रोशनी दिखाने कि ज़रूरत नही होती |
दिल चाहे किसी का भी हो,
किसी के लिये धड्काने की ज़रुरत नही होती |
चाँद देख रहा है इस रोशन ज़मीन को,
उसे किसी और के आशियाने की ज़रुरत नही होती |
समुद्र मे लहरे उठ्ती है, गिरती है,
उन्हे किनारा दिखाने की ज़रुरत नही होती |
ज़िन्द्गी मे उतार चढ़ाव का क्या मतलब है,
जब उचाई से गिरते झरने को सुन्दरता बताने कि ज़रुरत नही होती |
आज की ज़िन्द्गी मे सच्चा राही वही है,
जिसे राह मे लक्ष्य बताने कि ज़रुरत नही होती |
ढ़्रढ निश्चय व सच्चे दोस्त के साथ से,
काटे भरी राह को फ़ूलो से सजाने की ज़रुरत नही होती ||
Gajab....
ReplyDeleteAb to bta do first wali poem kis ke liye hai....
DHANYWAAD,
DeleteTe kavita keval kalpnao ki abhivyakti hai..