कविताये

प्यार और ज़िन्दगी

ज़िन्दगी बीत जायेगी उनके ख्वाबो के आशियानो मे,
उम्मीद ही बहुत कम है उन्हे इस जन्म मे पाअने मे |

उनकी याद का साया घूल चुका है हमारे साये से,
तभी तो बैठे रह्ते है ज़ामो से बह्रे मह्खाने मे |

दिल का मिनट मे 72 बार धड़कना काफ़ी नही है,
गिलास को हिलाना पड्ता है ज़ाम छलकाने मे |

नफ़रत के लिये ज़िन्द्गी बहुत बदी है,
तुम भी घुल के देखो प्यार के इस ताने बाने मे |

ज़िन्द्गी मिली है प्यार से सन्जोने के लिये,
इसे सहेजो नफ़रत कि आग बुझाने मे |

चाहत किसे कह्ते है ये हममे जाना है,
तभी तो उन्का दर्द बिठाया है दिल के किसी तह्खाने मे ||


ज़रुरत
बह्ती हवा मे पत्ते हिलाने की ज़रुरत नही होती,
दिन मे सूरज को रोशनी दिखाने कि ज़रूरत नही होती |

दिल चाहे किसी का भी हो,
किसी के लिये धड्काने की ज़रुरत नही होती |

चाँद देख रहा है इस रोशन ज़मीन को,
उसे किसी और के आशियाने की ज़रुरत नही होती |

समुद्र मे लहरे उठ्ती है, गिरती है,
उन्हे किनारा दिखाने की ज़रुरत नही होती |

ज़िन्द्गी मे उतार चढ़ाव का क्या मतलब है,
जब उचाई से गिरते झरने को सुन्दरता बताने कि ज़रुरत नही होती |

आज की ज़िन्द्गी मे सच्चा राही वही है,
जिसे राह मे लक्ष्य बताने कि ज़रुरत नही होती |

ढ़्रढ निश्चय व सच्चे दोस्त के साथ से,
काटे भरी राह को फ़ूलो से सजाने की ज़रुरत नही होती ||

2 comments:

  1. Gajab....
    Ab to bta do first wali poem kis ke liye hai....

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    1. DHANYWAAD,
      Te kavita keval kalpnao ki abhivyakti hai..

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